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|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
भरोसो मत तोड़्यै
ना हुयै आकळ-बाकळ
पतियारो राखजै
मोर नाचैला
कोयल री मिठास
धोरां बिचाळै
थारो सुआगत।

संदेसो इंदर रो
म्हारै कनै
जेठ मांय लेयनै आयो
भोरान भोर।

नीं मांडणो अड़ो
अबकै सावण
उतरतै भादवै तांई
तिरियां-मिरियां
धोरां आळो देस
बरस, बरस, बरस!
</poem>
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