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मंज़िल हमारी और है रस्ते हमारे और
दुनिया हमारी और है मसले हमारे और
फूलों की तरह लोग हमें तोड़ते रहे
हँसना हमारा और है दुखड़े हमारे और
 
ज्वालामुखी की आँख से आँसू निकल पड़े
दरिया हमारा और है क़तरे हमारे और
 
रेशम का भी बंधन हमें मंजूर नहीं है
चाहत हमारी और है रिश्ते हमारे और
 
भूखें हैं लोग बात सितारों की हो रही
फ़सलें हमारी और हैं सपने हमारे और
 
वो और हैं क़लम जो बेचकर के पी गये
मस्ती हमारी और है जलवे हमारे और
 
शब्दों की धार को कभी मरने नहीं दिया
ग़ज़लें हमारी और हैं नग़मे हमारे और
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