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|रचनाकार=मधु शर्मा
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<poem>
नीले पर नीले की
छाया है
धूसर को जाता श्याम
सलेटी काले पर,
पावें हैं आसमान की ठहरी
समय के बीच बँधी
धीरे-धीरे जल बहता है।
</poem>
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नीले पर नीले की
छाया है
धूसर को जाता श्याम
सलेटी काले पर,
पावें हैं आसमान की ठहरी
समय के बीच बँधी
धीरे-धीरे जल बहता है।
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