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|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
कभी हमसे मिलाया दिल किसी ने
बड़ा बेबस बनाया दिल किसी ने

दिखा तौबा शिकन नाजुक अदाएँ
था बन्दर-सा नचाया दिल किसी ने

परखने को खुद अपनी बेवफाई
है शीशे-सा सजाया दिल किसी ने

बुलंदी छू न पाया आसमाँ की
तो पत्थर पर गिराया दिल किसी ने

हमारी ही शराफत ने सँभाला
था पानी-सा बहाया दिल किसी ने

</poem>