भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर }} <poem> : :...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर
}}
<poem>
:
:मैं बुझते दीपक का न कभी
:धूमिल नीरव उच्छ्वास बना !
:जीवन के कितने ही भ्रम में,
:भूला न कभी अपने क्रम में,
::मैं तो अविरल बहने वाली
::सरिता के उर की साँस बना !
:मैं अपना ख़ुद पतवार बना,
:मैं अपना ख़ुद आधार बना,
::निज की निर्भरता पर रखता
::अविचल जीवित विश्वास घना !
1945
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर
}}
<poem>
:
:मैं बुझते दीपक का न कभी
:धूमिल नीरव उच्छ्वास बना !
:जीवन के कितने ही भ्रम में,
:भूला न कभी अपने क्रम में,
::मैं तो अविरल बहने वाली
::सरिता के उर की साँस बना !
:मैं अपना ख़ुद पतवार बना,
:मैं अपना ख़ुद आधार बना,
::निज की निर्भरता पर रखता
::अविचल जीवित विश्वास घना !
1945
Anonymous user
