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Kavita Kosh से
बन गये मेरी ग़ज़ल में काफिया ही क्यों?
सह लिया चुपछाप चुपचाप सब अपवाद लेकिन अब,
सोचता हूँ ओठ मैंने-सी लिया ही क्यों?
एक उलझा प्रश्न उलझा ही भले रहता,
हल समझ नीरव तुझे पैदा किया ही क्यों? ———————————
आधार छंद-रजनी
मापनी-गालगागा गालगागा-गालगागा गा
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