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जिया ही क्यों / ओम नीरव

20 bytes removed, 05:57, 20 जून 2020
बन गये मेरी ग़ज़ल में काफिया ही क्यों?
सह लिया चुपछाप चुपचाप सब अपवाद लेकिन अब,
सोचता हूँ ओठ मैंने-सी लिया ही क्यों?
एक उलझा प्रश्न उलझा ही भले रहता,
हल समझ नीरव तुझे पैदा किया ही क्यों?  ———————————
आधार छंद-रजनी
मापनी-गालगागा गालगागा-गालगागा गा
</poem>
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