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जाने कहाँ कहाँ से आये आए
बादल उतरे ताल पर
देख उन्हें
हँस हंस पड़ी हवायें हवाएँ लहराएँ, वो सौ बल खाएं खाएँ
बाँस वनों में इठलाती हैं
चुपके कानों में बतियायेंबतियाएँ
पत्ता पत्ता
लुढ़क रहीं
बूँदें बून्दें पुरईन पर
जैसे हो मोती की थाली
चमक उठीं पंकज पंखुरियाँ पँकज पँखुरियाँ
गहराई होठों की लाली
गौनई शुरू की
बरगद की डाली के ऊपर
पत्तों की थापों पर बूँदे बून्दें नाच रहीं हैं ठुमक -ठुमक कर
इन्द्रधनुष का मुकुट
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