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Kavita Kosh से
बदलियों को था बरसना खेत में
क्यों अचानक छत पे मेरी आ गयीं?
फिर तो उसके बाद कुछ देखा नहीं
ऐसे वो जलवे मुझे दिखला गयीं
कब कहा मेरी परेशानी हो तुम?
सामने आते ही जो शरमा गयीं