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{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
टूटी हुई रस्सी
फिर से बाँधी जा सकती है
वह जुड़ती है, लेकिन
वह टूटी होती है
शायद फिर से
हमारी मुलाक़ात हो
लेकिन वहाँ,
जहाँ तुमने मुझे छोड़ा था
वहाँ हम नहीं मिलेंगे
कभी नहीं
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
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|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
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टूटी हुई रस्सी
फिर से बाँधी जा सकती है
वह जुड़ती है, लेकिन
वह टूटी होती है
शायद फिर से
हमारी मुलाक़ात हो
लेकिन वहाँ,
जहाँ तुमने मुझे छोड़ा था
वहाँ हम नहीं मिलेंगे
कभी नहीं
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
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