भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
यदि मैं तेरे सब गुणों से ही, बस, पूर दूँगा उसको
ख़ुदा जानता है कि वो तब मक़बरा बन जाएगी ऐसा
जीवन आधा छुपा लेगी और जीवन को औ’ आधा झलकाएगी जिसको
काश ! अगर मैं लिख पाता, तेरी आँखों का सौन्दर्य समूचा
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,608
edits