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Kavita Kosh से
यदि मैं तेरे सब गुणों से ही, बस, पूर दूँगा उसको
ख़ुदा जानता है कि वो तब मक़बरा बन जाएगी ऐसा
काश ! अगर मैं लिख पाता, तेरी आँखों का सौन्दर्य समूचा