भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवनीत |अनुवादक=रुस्तम सिंह |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवनीत
|अनुवादक=रुस्तम सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अन्धेरी ठण्डी शरद रात है
चारों ओर ख़ामोशी है
जुझारू कवि
अपनी दोस्त लड़की के पास जा रहा है
दूर कहीं कुत्ता ताक रहा है
कवि और लड़की के बीच
दरवाज़ा खुलेगा
रात को
इंकलाब की ज़रूरत नहीं है ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=देवनीत
|अनुवादक=रुस्तम सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अन्धेरी ठण्डी शरद रात है
चारों ओर ख़ामोशी है
जुझारू कवि
अपनी दोस्त लड़की के पास जा रहा है
दूर कहीं कुत्ता ताक रहा है
कवि और लड़की के बीच
दरवाज़ा खुलेगा
रात को
इंकलाब की ज़रूरत नहीं है ।
</poem>