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|रचनाकार=तेमसुला आओ
|अनुवादक=श्रुति व यादवेन्द्र
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<poem>
मेरी आत्मा की
ख़ाली जगहों में
परछाइयाँ
हैं लम्बी
और हवाएँ सर्द

ये लम्बी होती हुई परछाइयाँ
यादों को
मार रही हैं ।

मेरी आत्मा की
ख़ाली जगहों में
गूँजें
खोखली हैं
स्मृति मरती हुई

खोखली गूँजें
प्रतिध्वनित होती हैं
मृत्यु को पूर्ण करती हुई ।

'''अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : श्रुति व यादवेन्द्र'''
</poem>
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