भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शंख घोष |अनुवादक=मीता दास |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शंख घोष
|अनुवादक=मीता दास
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
— छोटे होकर उतर जाइए, महाशय !
— महीन होकर उतर जाइए, महाशय !
— ऑंखें नही हैं क्या ? क्या आँखों से दिखता नही है ?
— महीन हो जाइए, छोटे हो जाइए ....
सदर में, बाज़ार में, या ओट में ?
भीड़ के बीच खड़े होने पर भी क्या मैं
अपने ही समान नित्य ही
और कितना छोटा हो जाऊँ, ईश्वर !?
'''मूल बांग्ला से अनुवाद : मीता दास'''
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शंख घोष
|अनुवादक=मीता दास
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
— छोटे होकर उतर जाइए, महाशय !
— महीन होकर उतर जाइए, महाशय !
— ऑंखें नही हैं क्या ? क्या आँखों से दिखता नही है ?
— महीन हो जाइए, छोटे हो जाइए ....
सदर में, बाज़ार में, या ओट में ?
भीड़ के बीच खड़े होने पर भी क्या मैं
अपने ही समान नित्य ही
और कितना छोटा हो जाऊँ, ईश्वर !?
'''मूल बांग्ला से अनुवाद : मीता दास'''
</poem>