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Kavita Kosh से
ठण्डे फूलों के सीस बरस रहे हैं मेरे दिल पर
ओ अवशेषों की गर्त, टूट चुके जहाज़ों की भीषण गुफा !
युद्ध और उड़ानें इकट्ठा हुईं तुम में
गीतों की चिड़ियों के पंख तुम में से उगे ।