भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ |अनुवादक=वर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विलिमीर ख़्लेबनिकफ़
|अनुवादक=वरयाम सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
पतझर के ठगों की सभा
ठगों के पतझर के विचार
चोटियाँ बनाती हुई हवा के बीच
किरणों की नींद ।

हवा में आर्तनाद फेंकते
विवेक के होठ ।
नदी के पानी का रुकना
बिछना मोटे कपड़े के जैसे बर्फ़ीले रास्‍ते का ।
अनुमान लगाती तीन लड़कियाँ —
कौन-सा छोकरा
किसका ?

उड़ते हुए कबूतर
आख़िर उनकी उम्र भी क्‍या !
हर जगह क्षीण पड़ती छाया,
मेरी ओर बढ़ती आती बाड़,
ओ नहीं !


'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits