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Kavita Kosh से
जो भी ये दावा करता है
कि ख़ूबसूरती
देखने वाले की आँखोंमें आँखों में बसी होती है,
वो भूल जाता है उस रेशमी संगीत कोजो एक रेशम के रूप में नंगी गर्दन के पासबसा छुपा होता है
जहाँ त्वचा को
बेहद कोमलता से छूता है सिर्फ़ कोई बच्चा
या प्रेमी ।