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आजकल मसक्वा तरबूजों से अटा पड़ा है
जहाँ नज़र डालो वहाँ तरबूज दिखाई देते हैं
कितनी उनकी मादक ख़ुशबू आ रही है उनकीघनघोर
तेज़ बहती हवा उसे फैला रही है चारों ओर
कि उत्साह में हैं तरबूज़ बेचने वाली लड़कियाँ
अपने-अपने ठियों पर ।
चारों तरफ़ गुलगपाड़ा मचा है - कोलाहलहैहँस रही हैं लड़कियाँ !हँसते-हँसते हुई बेहाल हैं
लोग तरबूजों को ठोक-बजा रहे हैं उँगलियों से
वजन देख रहे हैं उन्हें उठा-उठाकर
कुछ चाकू से उसकी फाँकें काट रहे हैं
कुछ देख खोज रहे हैं पूरा जखीरा
उसमें ढूँढ़ रहे हैं कोई मीठा मतीरा ।
अरे गुरु, धक्का-मुक्की मत करो,
गिर जाएँगे सारे तरबूज
फटजाएँगे -खुल जाएँगे दो-चार
ख़त्म हो जाएगा उनका सारा उरूज ।
उतना ही रसदार, स्वादिष्ट और मदभरा है
ठिये पर दिखती है पुलिस की टोपी
मोटरसाइकिल से उतरकर उतर आया है गोपी
उसकी आँखों में चमक है, अपनापन है
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