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|अनुवादक=चमन लाल
|संग्रह=कभी नहीं सोचा था / सुरजीत पातर
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[[Category:पंजाबी भाषा]]
<Poem>
मैं जिन लोगों के लिए पुल बन गया था
वे जब मेरे ऊपर से गुज़र रहे थे
मैंने सुना, मेरे बारे में कह रहे थे :

वह कहाँ छूट गया है चुप-सा आदमी
शायद पीछे लौट गया है

हमें पहले ही मालूम था
कि उसमें दम नहीं है ।

'''पंजाबी से अनुवाद: चमन लाल'''
</poem>
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