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Kavita Kosh से
ओबेह के लोग पूरी मेहनत कर रहे हैं
बारिश के लिए
लेकिन बारिश नहीं हो रही
कौन जानता था कि मैं एक ख़ाली नल के लिए रोऊँगी,
हालाँकि मैं हर मरती हुई चीज़ का शोक मनाती हूँ।
इस रेगिस्तान में रहने वाले लोग कभी मन के अन्दर झाँकते हैं
तो कभी ताकते हैं बाहर
और मैं ख़ुद एक तालाब, एक नदी,
एक नख़लिस्तान बन जाना चाहती हूँ
सबकी प्यास बुझाने के लिए ।
आने दो उन्हें और पीने दो मुझे
मैं छिन्न-भिन्न होकर आँसुओं के रूप में
बहना चाहती हूँ ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''