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|रचनाकार=राहत इन्दौरीमोमिन
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले हम तो कल ख्वाब-ए-अदम* में शब-ए-हिजराँ* होंगे-------कभी न ख़त्म होने वाला सपना* जुदाई की रात
एक तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले हम हैं कि हुए ऎसे पशेमान* कि बसतो कल ख्वाब--अदम1 में शब----शर्मिन्दा एक वो हैं कि जिन्हें चाह* के अरमाँ हिजराँ2 होंगे------चाहत
एक हम निकालेंगे सुन ए मौज-ए-सबा बल तेरा -- हवओं के झोंके हैं कि हुए ऎसे पशेमान3 कि बसउसकी ज़ुलफ़ों एक वो हैं कि जिन्हें चाह4 के अगर बाल परेशाँ अरमाँ होंगे
फिर बहार आई वही दश्त नवरदी होगी हम निकालेंगे सुन ऐ मौज--- मरूस्थल में भटकना सबा5 बल तेराफिर वही पाँव वही खार-ए-मुग़ीलाँ उसकी ज़ुल्फ़ों के अगर बाल परेशाँ होंगे----- बबूल के काँटे
मिन्नत-ए-हज़रत-ए-ईसा* न उठाएँगे कभी-----हज़रत ईसा की ख़ुशामद फिर बहार आई वही दश्त नवरदी6 होगी ज़िन्दगी के लिए शर्मिन्दाफिर वही पाँव वही खार-ए-एहसाँ* मुग़ीलाँ7 होंगे? -----एहसान लेके शर्मिन्दा होना
मिन्नत-ए-हज़रत-ए-ईसा8 न उठाएँगे कभीज़िन्दगी के लिए शर्मिन्दा-ए-एहसाँ9 होंगे? उम्र तो सारी क़टी इश्क़-ए-बुताँ*बुताँ10 में 'मोमिन----हसीनों से प्यार-मोहब्बत में '
आखिरी उम्र में क्या खाक मुसलमाँ होंगे
 
''' शब्दार्थ:
1. कभी न ख़त्म होने वाला सपना : 2. जुदाई की रात 3. शर्मिन्दा 4. चाहत 5. हवाओं के झोंके 6. मरूस्थल में भटकना 7. बबूल के काँटे , 8. हज़रत ईसा की ख़ुशामद , 9. एहसान लेके शर्मिन्दा होना , 10. हसीनों से प्यार-मोहब्बत
 
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