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{{KKRachna
|रचनाकार=मोमिन
}}ये हासिल है तो क्या हासिल बयाँ से <br>कहूँ कुछ और कुछ निकले ज़ुबाँ से <br><br>[category: ग़ज़ल]
वो आए हैं पशेमाँ लाश पर अब <br>तुझे ए ज़िन्दगी लाऊँ कहाँ से <br><br>
न बोलूँगा न बोलूँगा कि मैं हूँ <br>ज़्यादा बद गुमाँ उस बदगुमाँ से <br><br>
न बिजली जलवा फ़रमा है न सय्याद <br>निकल कर क्या करें हम आशयाँ से <br><br>
बुरा अंजाम है आग़ाज़-ए-बद का<br>जफ़ा की हो गई खू इमतिहाँ से <br><br>
हम ईमाँ लाए थे नाज़-ए-बुताँ से