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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेज राम शर्मा |संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}} [[Cate...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तेज राम शर्मा
|संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}}
[[Category:कविता]]
<poem>
हमें लगता है
मरने के बाद भी
पुरखों की आत्माएँ
भटकती रहती हैं
विरोध करते रहते हैं
वे उनके साथ हुए बर्ताव का
गाँव के ओझा को
सुनाई दे जाती हैं उनकी आवाज़ें
उनके अदृश्य हाथ
चाहे उठते रहते हों दुआओं में
पर ओझा कर देता है
हमारे कलुष की पुष्टि
पुरखे बन जाते हैं पाप-आत्माएँ
पीढ़ियों के बीच रहती है खाली जगह
हमारे समय तक आते-आते
फैल जाता है उसमें आकाश
जहाँ उठती रहती हैं
हमारे पापों की अनुगूंजें।
</poem>
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|रचनाकार=तेज राम शर्मा
|संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}}
[[Category:कविता]]
<poem>
हमें लगता है
मरने के बाद भी
पुरखों की आत्माएँ
भटकती रहती हैं
विरोध करते रहते हैं
वे उनके साथ हुए बर्ताव का
गाँव के ओझा को
सुनाई दे जाती हैं उनकी आवाज़ें
उनके अदृश्य हाथ
चाहे उठते रहते हों दुआओं में
पर ओझा कर देता है
हमारे कलुष की पुष्टि
पुरखे बन जाते हैं पाप-आत्माएँ
पीढ़ियों के बीच रहती है खाली जगह
हमारे समय तक आते-आते
फैल जाता है उसमें आकाश
जहाँ उठती रहती हैं
हमारे पापों की अनुगूंजें।
</poem>