भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अँधेरा और बच्चा / नीरज दइया

790 bytes added, 16:53, 13 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह= }} <Poem> डरता है बच्चा अँधेरे से ड...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=
}}
<Poem>
डरता है बच्चा
अँधेरे से
डरता-डरता वह सीखता है -
नहीं डरना !

एक दिन
आता है ऐसा
भरी दोपहरी
बच्चा पहचान लेता है
उजास में अँधेरा ।

बच्चा
जब पहचान लेता है- अँधेरा
बच्चा बच्चा नहीं रहता
दबने लगता है
भार से
करने लगता है युद्ध
अँधेरे की मार से ।

'''अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा'''
</poem>