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{{KKRachna
|रचनाकार=बहज़ाद लखनवी
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<poem>
उन आँखों का आलम, गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम, शराबी शराबी

निगाहों ने देखी मुहब्बत ने मानी
तेरी बेमिसाली, तेरी लाजवाबी

ये दुद-दीदा नज़ारें ये रफ़्तार-ए-नाज़ुक
इन्हीं की बदौलत, हुई है खराबी

खुदा के लिए अपनी ऩज़ारो को रोको
तमन्ना बनी, जा रही है जवाबी

है "बहज़ाद" उनकी निगाह-ए-करम पर
मेरी ना-मुरादी, मेरी कामयाबी
</poem>
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