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[[Category:ग़ज़ल]]
इश्क़ फ़ना का नाम है इश्क़ में ज़िन्दगी न देख
जल्वाअजल्वा-ए-आफ़्ताब बन ज़र्रे में रोशनी न देख
शौक़ को रहनुमा बना जो हो चुका कभी न देख
आग दबी हुई निकाल आग बुझी हुई न देख
तुझ कोख़ुदा तुझको ख़ुदा का वास्ता तू मेरी ज़िन्दगी न देख जिस की जिसकी सहर भी शाम हो उस की उसकी सियाह शवी न देख