भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
इन्तसाब /ब्रजेन्द्र 'सागर' का नाम बदलकर इन्तसाब / ब्रजेन्द्र 'सागर' कर दिया गया है
उन सबको
जो माज़ी<ref>भूतकाल</ref>में जी रहे
हाज़िर<ref>वर्तमान</ref>कोफ़र्दा<ref>भविष्य</ref>की
सौगात हैं
और
तुमको' भी
 
 
{{KKMeaning}}
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits