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Kavita Kosh से
खाते-पीते, दहशत जीते
घुटते-पिटते बीच के लोग।
वर्ग-हर्म धर्म पटकनी लगाता,
माहुर माते बीच के लोग।
घर में घर की तंगी-मंगी,