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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह= नाव सिन्धु में छोड़ी / गुलाब खंडेलवाल
}}
<poem>
जीवन गाते-गाते बीते <br>और पहुच पहुँच कर अन्तिम सुर पर<br>सुमनान्जलि सा रीते<br><br>
दिन भर सागरतट पर गाऊँ<br>बालू के घर बना मिटाऊँ<br>गाते ही गाते घर आऊँ<br>सोच न हारे जीते<br><br>
नव नव धुन जागें जीवन में<br>नित नव राग उठे जीवन में<br>गीतों मे सज दूँ जो मन में<br>दुःख हो मीठे-तीते<br><brpoem>
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