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|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव
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<Poem>
संकट टला नहीं है
सटोरियों ने दाँव लगाने छोड़ दिये दिए हैं
चौखट के बाहर
अप्रिय घटनाओं का बाजार गर्म है
प्रतीक्षा कर रहे हैं
किसी चुनाव-परिणाम की !
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