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गश्त / अजित कुमार

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|संग्रह=ये फूल नहीं / अजित कुमार
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रात गये सीटियाँ बजानेवाले बच्चों को
कोई तो रोको ।
हमें नींद में सायरन सुनाई पड़ने लगते हैं ।
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