486 bytes added,
15:55, 14 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सौदा
}}
<poem>
राज़े-दिल फ़ाश किया मैंने मिरी साक़ी पर
कुछ न देखा मैं बजुज़ पर्दादरी शीशे में
दिल में जिस रंग से ’सौदा’ के गुज़रती है लहर
मौजै-मै कर न सके ज़ल्वागरी शीशे में
</poem>