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भविष्य / अनिल जनविजय

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|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे / अनिल जनविजय
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{{KKCatKavita}}<poem>
याद हैं मुझे
 
तुम्हारे वे शब्द
 
तुमने कहा था--
 
एक दिन आएगा
 
जब आदमी
 
आदमी नहीं रह पाएगा
 
वह बंजर ज़मीन हो जाएगा
या ठाठें मारता समुद्र
या ठाठें मारता समुद्र</poem>
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