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[[Category:ग़ज़ल]]
ये जो हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं <br>कभी सबा को तो कभी नामाबर को देखते हैं <br><br>
वो आये घर में हमारे ख़ुदा की कुदरत है <br>