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ये जो हम हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं / ग़ालिब
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13:49, 27 जनवरी 2010
[[Category:ग़ज़ल]]
ये
जो
हम
जो
हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं <br>कभी सबा
को
तो
कभी नामाबर को देखते हैं <br><br>
वो आये घर में हमारे ख़ुदा की कुदरत है <br>
Rajneesh 'Sahil'
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