भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ-भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
पग-पग पर फूलों का डेरा
घेरे था रंगों का घेरा
पर मैं तो केवल बस तेरा-
तेरा होकर जिया
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वहमैं चलता ही आया अहरहमिला गरल भी तुझसे तो केवल बस तेरा, तेरा होकर जियावह अमृत मान कर पिया
जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
Anonymous user