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जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ-भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
पग-पग पर फूलों का डेरा
घेरे था रंगों का घेरा
पर मैं तो केवल बस तेरा-
तेरा होकर जिया
पग पग पर फूलों का डेरा, घेरे था रंगों का घेरा
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वहमैं चलता ही आया अहरहमिला गरल भी तुझसे तो केवल बस तेरा, तेरा होकर जियावह अमृत मान कर पिया
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह मिला गरल भी तुझसे तो वह, अमृत मान कर पिया  जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला तंबूरा तँबूरा मुझको टूटा  उसपर भी उस पर ही, जब भी स्वर फूटा, मैंने कुछ गा लिया
जीवन तुझे समर्पित किया
 
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
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