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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार==समयातीत पूर्णकुमार सुरेश}} =={{KKCatKavita}}<poem>हे समयातीत
तुम हो
संगत और शुद्ध वर्तमान
पूर्ण का पूर्ण मैं विलय हुआ
पूर्ण सदा शेष है
</poem>