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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ-सा कहें जिसे
आईना क्यूँ न दूँ के तमाशा कहें जिसे<br>हसरत ने ला रखा तेरी बज़्म-ए-ख़याल मेंऐसा कहाँ से लाऊँ के तुझसा कहें जिसेगुलदस्ता-ए-निगाह सुवैदा<brref>दिल का दाग़<br/ref>कहें जिसे
हसरत ने ला रखा तेरी बज़्मफूँका है किसने गोश-ए-ख़याल मेंमुहब्बत<brref>प्रेमी का कान</ref> में ऐ ख़ुदागुलदस्ताअफ़सून-ए-निगाह सुवेदा कहें जिसेइन्तज़ार<brref>प्रतिज्ञा का जादू<br/ref>तमन्ना कहें जिसे
फूँका है किसने गोशसर पर हुजूम-ए-मुहब्बत में ऐ ख़ुदादर्द-ए-ग़रीबी<brref>अकेले रहने की पीड़ा की अधिकता</ref> से डालियेअफ़सूनवो एक मुश्त-ए-इन्तज़ार तमन्ना कहें जिसेख़ाक<brref>एक मुठ्ठी मिट्टी<br/ref>कि सहरा<ref>रेगिस्तान</ref> कहें जिसे
सर पर हुजूमहै चश्म-ए-दर्दतर<ref>आँख</ref> में हसरत-ए-ग़रीबी दीदार से डालियेनिहां<brref>छुपा हुआ</ref>वो एक मुश्तशौक़-ए-ख़ाक के सहरा कहें जिसेअ़ना-गुसेख़्ता<brref>बेलगाम शौक़<br/ref>दरिया कहें जिसे
दरकार है चश्मशगुफ़्तन-ए-तर में हसरतगुल हाये-ए-दीदार से निहाँऐश<brref>ऐश्वर्य के फूलों को खिलने के लिए</ref> कोशौक़सुबह-ए-इनाँ गुसेख़्ता दरिया कहें जिसेबहार पम्बा-ए-मीना<brref>शराब की सुराही पर रखा हुआ रुई के फाहा<br/ref>कहें जिसे
दरकार है शिगुफ़्तन-ए-गुल हाये ऐश को<br>सुबह-ए-बहार पंबा-ए-मीना कहें जिसे<br><br> "गा़लिब" बुरा न मान जो वाइज़ <ref>उपदेशक</ref> बुरा कहे<br>ऐसा भी कोई है के कि सब अच्छा कहें जिसे <br><br/poem>{{KKMeaning}}
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