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<poem>
ये मशवरे बहम <ref>साथ</ref> उठे हैं चारा-जु करते
अब इस मरीज़ को अच्छा था क़िबलरु करते
हम और आप से इस तरह गुफ़्तगू करते
जवाब हज़रत-ए-नासेह <ref>नसहीत करने वाला</ref> को हम भी कुछ देते
जो गुफ़्तगू के तरीक़े से गुफ़्तगू करते
पहुँच के हश्र के मैदान में हौल क्यों है 'अज़ीज़'
अभी तो पहली ही मंज़िल है जूस्तजू <ref>इच्छा</ref> करते
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