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Kavita Kosh से
:यह पल-पल का लघु-जीवन
सुन्दर, सुखकर, शुचितर हो!
हों बूँदें अस्थिर, लघुतर,
सागर में बूँदें सागर,
:यह एक बूँद जीवन का
मोती-सा सरस, सुघर हो!
मधुऋतु के कुसुम मनोहर,
कुसुमों की ही मधु प्रियतर,
:यह एक मुकुल मानस का
प्रमुदित, मोदित, मधुमय हो!
मेरा प्रतिपल निर्भय हो,
निःसंशय, मंगलमय हो,