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बीता हुआ दिन / शरद कोकास

No change in size, 21:25, 12 मई 2010
<poem>
कल का जो दिन बीता
बिगड़ी हुई मशीन -सा था
कल कितनी प्रतीक्षा थी
हवाओं में फैले गीतों की
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