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Kavita Kosh से
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>जो नियमित हैं उनका अनियम।
जो संतुलित उनका असंतुलन।
जो वाहवाही करते हैं उनकी चैन की नीद
बिना नमक की दाल में ज्यादा पड़ा हींग।
</poem>