भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोग / विजय वाते

723 bytes added, 22:22, 10 जून 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय वाते |संग्रह= गज़ल / विजय वाते }} <poem> भीगे रुमा…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= गज़ल / विजय वाते
}}
<poem>
भीगे रुमाल हिलाते लोग,
सूखे मन ले जाते लोग|

होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी,
मन की गाँठ दिखाते लोग|

चंदा जाए झूलाघर तो,
घर झूला ला पाते लोग|

आपनी अपनी पीर लिए सब,
रोते लोग रुलाते लोग|

शुद्ध गणित की भाषा मे अब,
गीत गज़ल भी गाते लोग |</poem>