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|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
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}}
<poem>
सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम्हारे पास आग है
सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम्हारे पास सपने हैं
सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम अपने सपनों को
आग में तपा सकते हो
सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम आग में तपे सपनों को
सूरज में बदल सकते हो
उठाओ
हाथ ऊपर उठाओ
और सुबह के उगते हुए
सूरज में बदल जाओ
1995, पुरानी नोटबुक से
<poem>
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सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम्हारे पास आग है
सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम्हारे पास सपने हैं
सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम अपने सपनों को
आग में तपा सकते हो
सूरज के हकदार हो तुम
अगर तुम आग में तपे सपनों को
सूरज में बदल सकते हो
उठाओ
हाथ ऊपर उठाओ
और सुबह के उगते हुए
सूरज में बदल जाओ
1995, पुरानी नोटबुक से
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