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पहचान / नरेश सक्सेना

374 bytes added, 12:38, 8 सितम्बर 2010
Dhuen ke saath oopar uthunga meinधुंए के साथ ऊपर उठूँगा मैं,Bachho jise tum kahte ho carbon die oxideबच्चो जिसे तुम पढ़ते हो कार्बन दाई आक्साइड,wahi ban kar chaa jaunga meinवही बन कर छा जाऊंगा मैं,ped kahi honge to aur hare ho jayengeपेड़ कहीं होंगे तो और हरे हो जायेंगे,fal kahi honge to aur pak jayegeफल कहीं होंगे तो और पाक जायेंगेjab un falon ki mithaas tum tak pahunchegiजब उन फलों की मिठास तुम तक पहुंचेगी,ya hariyaali bhali lagegiया हरियाली भली लगेगी,tab tum mujhe pehchaan lohgeतब तुम मुझे पहचान लोगे,aur kahogeऔर कहोगे, "arey paapaaअरे पापा"
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