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{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
यह दुनिया छोड़ दी हमने
चोरों के भरोसे
क्योंकि चोरों को एक होने में
समय नहीं लगता
और ईमानदार कभी
एक नहीं होते
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|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
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यह दुनिया छोड़ दी हमने
चोरों के भरोसे
क्योंकि चोरों को एक होने में
समय नहीं लगता
और ईमानदार कभी
एक नहीं होते