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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

हिया में जब धइल गइल तनी-तनी सा बात के
असर बहुत-बहुत भइल तनी-तनी सा बात के

कहीं प फूल झर गइल कहीं प फूल खिल गइल
अलग-अलग असर भइल तनी-तनी सा बात के

जे जिन्दगी के हाल-चाल उम्र भर लिखत रहल
ऊ राज ना समझ सकल तनी-तनी सा बात के

ई मन बहुत मइल भइल तनी-तनी सा बात से
बेकार में ढोअल गइल तनी-तनी सा बात के

<poem>