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बड़ी उम्मीद / कुमार सुरेश

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार== बड़ी खबर ख़ुशी कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita‎}}<poem>कितनी हे बातें
जो मेरे नियंत्रण में नहीं हैं
हो जाती हैं नियंत्रित ढंग से
जैसे सूरज बिना आवाज आवाज़ अँधेरे को चीर कर
निकल आता है समय पर
तय समय पर बरसता बरसती है ओस नहाकर खाना बनाने की तैयारी करती हैं पत्तियां पत्तियाँ जाग जाते हैं पख्छी पक्षी गिलहरिया काम से लग जाती हैं चहचहाना और चिहुकना चिंहुकना
सबको बता देता है
दुनिया अभी रहने लायक है
दूध वाला समय पर आ जाता है
चाय मिल जाती है अपने वक़्त
बदस्तूर आ जाता है अखवार अख़बार
ट्रेफिक ट्रेफ़िक और दफ्तर दफ़्तर की मशक्कतों के बीच
कुछ ऐसा हो ही जाता है
नयी नई करवट लेती है उम्मीद
घर वापस लौटना
प्रिय स्त्री के पास
जो मेरा इंतजार इंतज़ार करती है
हमेशा से बड़ा सुकून है
छलछलाता है बिटिया का संतोष
पडोसी की एक साल की नातिन लगाती है
ता-ता . डा डा की जोर ज़ोर की पुकार
तन्द्रा से जग उठता है घर
अंधेरी घाटी में उतारते वक्त उतरते वक़्त अकेले रहता है विस्वास विश्वास
फिर से सूरज उगेगा
फिर होगा एक खुसनुमा खुशनुमा दिन और वह बड़ी खबर खुसी ख़बर-ख़ुशी लौटेगी बार -बार छोटी -छोटी बातो में   
</poem> ==
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